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मेरी हमसफर हमराह मंजूबाला l ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान


 

तू ही मेरी जां, तू ही मेरी मुहब्बत, तू ही मेरे जीवन की मधुशाला।

तू ही मेरा ख्वाब, तू ही मेरी दुहा, मेरी हमसफर हमराह मंजूबाला।।

तू ही मेरी जां, तू ही—————।।

 

 

मुझको है तुमपे अभिमान बहुत, तारीफ सबसे करता हूँ तेरी।

चेहरा तेरा चंद्रमा जैसा, काबिले-तारीफ है बोली तेरी।।

तू ही मेरी मुमताज, तू ही मेरी रानी, तू ही मेरे गीतों की मधुबाला।

तू ही मेरा ख्वाब, तू ही मेरी दुहा, मेरी हमसफर हमराह मंजूबाला।।

तू ही मेरी जां, तू ही—————।।

 

 

जीवन मेरा हो गया आबाद, मेरे जीवन में तेरे आने पर।

फिजा में बिखर गई खुशबू , मेरे चमन में तेरे आने पर।।

तू ही मेरी खुशी, तू ही मेरी मंजिल, तू ही मेरे होठों की गीतमाला।

तू ही मेरा ख्वाब, तू ही मेरी दुहा, मेरी हमसफर हमराह मंजूबाला।।

तू ही मेरी जां, तू ही—————।।

 

 

सात फेरों के सात वचन, निभाऊंगा मैं,मेरा वादा है।

तेरी आँखों से नहीं बहने दूंगा ऑंसू ,तुमसे मेरा वादा है।।

सुख- दुःख में साथी बनने को तेरा, पहनाई है तुमको मैंने वरमाला।

तू ही मेरा ख्वाब, तू ही मेरी दुहा, मेरी हमसफर हमराह मंजूबाला।।

तू ही मेरी जां, तू ही—————।।


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