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तरीका | Newsforum

©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

जीवन जीने का

तरीका बदल दो

आजादी में ना कोई

किसी के दखल दो

प्रत्येक इंसा को

आजादी का हक है

हर किसी को जीवन

जीने की ललक है

कोई अपने परिवार

में ख़ुश हैं

कोई अपने रिवाज

में खुश हैं

अब ना कोई किसी

को अकल दो

जीवन जीने का

सलीका बदल दो

आजादी में ना कोई

किसी के दखल दो

संकिर्ण सोच तक

सीमित ना रहो

संपुर्ण मानव को

अपना ही कहो

छोटे- बड़े का भेद

मसल दो

जीवन जीने का

तरीका बदल दो

प्रेम बंधुत्व से

जीना सीख लो

नफरत, वैमनस्य

छोड़ दो

जाति – पाति की दीवारें

सब तोड़ दो

जीवन रुपी समर में

प्रेम बंधुत्व

हासिल कर लो

जीवन जीने का

तरीका बदल दो

आजादी में ना कोई

किसी के दखल दो

नवरत्न यह शरीर है

एक दिन तों

चले जाना है

जब तक दुनिया में है

प्रेम दिलों में

जगाना है

जीत लो दिलों को

मानवता से

तोड़ लो नाता

दानवता से

नफरत के सभी

मायने बदल दो

जीवन जीने का

तरीका बदल दो

असफलता को भूल

सभी फैसले

सफल लो

जीवन जीने का

तरीका बदल दो

आजादी में ना कोई

किसी के दखल दो …


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