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दर्पण | ऑनलाइन बुलेटिन

©दीपाली मिरेकर

 परिचय– विजयपुरा, कर्नाटक


 

 

ज्ञान विज्ञान का अजीब ही है किस्सा,

जैसे सास बहू का नाता।

 

दोनों भी है परिवार की नींव,

एक बिन दूजा अधूरा।

 

होते हैं भले ही भिन्नमत,

पर देहलीज वही दर्पण नया।

 

मातृत्व का ममत्व, पत्नी का प्राण,

दोनों का संगम एक में समाया।

 

ज्ञान ही विज्ञान है,

विज्ञान ही ज्ञान,

एक बिन दूजा अधूरा,

दोनों में भी है संसार का प्राण समाया।

 


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