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बहुत याद आती हो तुम l ऑनलाइन बुलेटिन

पुष्पराज देवहरे, भारतवासी

 

 

 

बहुत याद आती हो तुम |

दिल को जलाती हो तुम ||

खोया – खोया रहता हुँ मै |

क्यों इतना तड़पाती हो तुम ||

 

 

अब रहता नहीं हैं चैन मुझे |

हर – पल ढूंढती है नैन तुम्हें ||

यादें तेरी दिल में बेचैनी बढ़ाये |

रोज दिल को भीगाये रैन मुझे ||

 

 

क्यों सोने नहीं देती अब रातें |

रोज याद आती है तेरी बातें ||

करवटें बदलता रहता हुँ रातों में |

अश्क़ समुन्दर होती है मेरी रातें ||

 

 

बिना तेरे जिंदगी में महक नहीं है |

अब चांदनी में भी चमक नहीं है ||

ख़ामोश हो गया है दिल का सूरज |

मेरे खुशियों में अब चहक नहीं हैं ||

 

 

एक बार लौट कर आ जाओ तुम |

फिर से मुझे महकाजाओ तुम ||

ये यादें कही जान ही न ले जाये |

मरने से पहले आ जाओ तुम ||

 

 


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