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धन की बारिश | Onlinebulletin

©रामकेश एम यादव, मुंबई


 

 

आओ मन के नभ से स्नेह बरसाया जाए

हर्षोल्लास से दीपोत्सव ये मनाया जाए।

सरस्वती लक्ष्मी गणेश का करें हम पूजन

झालरों दीपों से चलो घर सजाया जाए।

सदा होती रहे सभी पर धन की बारिश

साँसों के चरागों से जग महकाया जाए।

विदेशी झालरों के पीछे कोई न भागो

गाँव शहर दीया से ही जगमगाया जाए।

सरहद की रखवाली में खड़े हैं जो सैनिक

उनकी आन बान में दीया जलाया जाए।

कायम रहे हमारी गंगा जमुनी संस्कृति

कहीं पे हाथ तो कहीं दिल मिलाया जाए।

फीकी न रहे उसकी नजरों से मेरी नजर

चलके मोहब्बत का वो जाम पिया जाए।

पहनके खुशबू की लिबास आई दिवाली

उस भीनी खुशबू से जग महकाया जाए।

चिक्कन है गाल रोशनी की ठहरती न नजर

फिसलन भरी राहों पे पग न बढ़ाया जाए।

फीकी न रहे इस बार किसी की दीपावली

धनवंतरी का भी जन्मदिन मनाया जाए।


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