माता सीता ल रावण हर के लेगत हे | newsforum
©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
(छत्तीसगढ़ी गीत)
येदे रावण ह साधु के भेष लेवथे
हाँ भेष लेवथे-
माता सीता ल वो हर के लेगथे -2
भोली हे माता भिक्षा ल देवथे
भिक्षा ल देवथे-
लक्ष्मण के रेखा ल पार करथे-2
माया के मृग पाछु दऊंड़े हे राम
दऊंड़े हे राम –
हाथ म लेके धनुष अऊ बान-2
‘मृग’ रामे के धुन ल निकाली लेवत हे
निकाली लेवत हे –
भोली हे माता भिक्षा ल देवथे ….
रामे के धुन सुन चिंतित हे माता
चिंतित हे माता –
जाना लखन तोर से बिनती हे भ्राता -2
स्वामी म संकट ह आई लेवत हे
ह आई लेवत हे –
भोली हे माता भिक्षा ल देवथे…..
रावण ह सीता ल हर के लेगथे
हर के लेगथे –
काग भुसुन्डी रस्ता ल रोकथे -2
ओकर पाँखी ल रावण ह काटी लेवथे
हाँ काटी लेवथे –
भोली हे माता भिक्षा ल देवथे……
येदे रावण ह साधु के भेष लेवथे
हाँ भेष लेवथे –
माता सीता ल वो हर के लेगथे -2
भोली हे माता भिक्षा ल देवथे
भिक्षा ल देवथे –
लक्ष्मण के रेखा ल पार करथे-2