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मां का कामकाजी होना बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में होता है सहायक | Newsforum

©वंदिता शर्मा, शिक्षिका, मुंगेली, छत्तीसगढ़ 


 

बहुत हद तक बच्चे अपनी मां से सीख लेता है; वैसे गर्भकाल से ही बच्चा अपनी मां की गर्भ से सीखता रहता है। जिम्मेदारी की बात जैसे-जैसे वह बड़ा होता और मां को घर और बाहर दोनों कामों करते बच्चा देखता है तो वह बहुत सी जिम्मेदारी मां का अनुकरण करके सीख जाता है। हां इस बात का ध्यान रखना होता है। मां को संयम धैर्यवान होना चाहिए, तो बच्चा अपने आप बहुत कुछ सीख जाता है। खासकर कामकाजी माताओं के बच्चे, उसमें मैं अपने में स्वयं इसे देखा समझा जाना है। मेरी बिटिया मुझको देखकर आज की स्थिति में वह बहुत ही जिम्मेदार अभी से बन गई है।

 

अगर आप ऐसा सोचते हैं कि वे महिलाएं जो बाहर जाकर काम करतीं हैं, अपने बच्चों की शिक्षा और उनकी जरूरतों पर ध्यान नहीं देतीं, तो आपको यह जानकर हैरानी जरूर हो सकती है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चे, अपेक्षाकृत अधिक आत्म-निर्भर और शिक्षित होते हैं। माना जाता है कि बच्चे को आरंभिक शिक्षा परिवार और माता-पिता के द्वारा ही दी जाती है। वह वही सीखता और करता है जो वह अपने परिवार में देखता है। यदि उसने शुरू से ही अपने पिता और मां दोनों को ही शिक्षित और आत्मनिर्भर बन अपने पैरों पर खड़े हुए देखा है तो परिणामस्वरूप उसके भीतर भी शिक्षा के प्रति रुझान और आत्म-निर्भरता की चाह बढ़ने लगती है। वह बचपन से ही अपने छोटे-छोटे काम खुद ही करना सीख जाता है, जो आगे चलकर उसकी काफी हद तक सहायता करते हैं।

 

उसे यह ज्ञात हो जाता है कि अपने पैरों पर खड़े होने और समाज में प्रतिष्ठापूर्ण जीने के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं महिलाओं का बाहर जाकर काम करना उनके बच्चे और उनके बीच भावनात्मक नजदीकी को और अधिक बढ़ा देता है। विशेषकर लड़कियों में यह प्रवृति अधिक देखने को मिलती है कि वह ऑफिस से लौटकर अपनी मां के साथ रसोई में खाना बनाती है, साथ ही अपने परिवारजनों की भी जरूरतों का भी ध्यान रखती है। इसके विपरीत वे बच्चे इतनी जल्दी आत्मनिर्भर नहीं बन पाते जिनकी माताएं उन्हें संरक्षण देने और उनकी हर जरूरत को पूरा करने के लिए हर समय उनके साथ रहती है और अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी लंबे समय तक अपने परिवार पर आश्रित रहना पड़ता है।

 

मां का कामकाजी होना बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए बेहतर ही है। उनके बाहर जाकर काम करने से परिवार की विभिन्न जरूरतों की पूर्ति तो होती ही है साथ ही बच्चे को भी अच्छी शिक्षा हेतु बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो जाती है। हमें यह मानसिकता त्याग देनी होगी कि कि जो महिलाएं काम करती हैं, वे अपने बच्चों से प्यार नहीं करतीं। वास्तविकता यह है कि वे अपने परिवार और बच्चों के लिए ही तो काम करती हैं।

 

इस प्रकार अपनी माता का क्रियाकलापों को देखकर बच्चा जिम्मेदार बन जाता है। कभी कभी परिस्थितियों के कारण भी बच्चा जिम्मेदार हो जाता है। एक छोटी सी उम्र में जैसे आप सभी देख रहे हैं इस कोरोना काल में कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है और आज परिस्थिति वश उन्हें एक जिम्मेदार बच्चा हालात ने बना दिया है।


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