मेरा देश मेरा मान | Onlinebulletin
©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़
धरती अम्बर सूरज नभ पर
गाते जिसका गान,
अलग अलग जहाँ बोली भाषा
करते सबका सम्मान
मेरा देश मेरा मान |
खूब खेली खून की होली
लाल रक्त बहायें है
गुलामी की जंजीरें तोड़ी
आज़ादी का ताज़ बचाये है |
बच्चे, बूढ़े और नौजवान
सबने जान जान लुटाये है
सबको एकता की सूत्र में बांधे
तिरंगा मेरी शान
मेरा देश मेरा मान |
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सब मिल जुलकर रहते भाई – भाई
नहीं किसी से बैर यहां पर
बजे खुशियों की शहनाई |
कभी उड़े खुशियों के ग़ुलाल
उम्मीदों की दीप जले
सात वचन से फेरे लेते
खुशियों से आँगन महके
सूर्योदय होता शंखनाद से
शांति फैले जहाँ
मेरा देश मेरा मान |
सीना तान सरहद पे खड़े है
भारत माँ के लाल
सदा रक्षा का फ़र्ज निभाते
सीने पर गोली खाते
भले ही जाए प्राण
मेरा देश मेरा मान |
लोट रहा सागर चरणों पर
सर पर ताज़ हिमालय
हरियाली का चुनर ओढ़े
भारत माता की जय |
कई अनोखे रूप लिए यहां
नारी का इतिहास
यमराज भी जिससे प्राण छुड़ाए
किया नामुमकिन काम
मेरा देश मेरा मान |
जहाँ सूरज सबसे पहले उगता
पथ्थर भी पूजे जाते है
जिसमे सब है शिश झुकाते
गीता, बाईबि, और कुरान
मेरा देश मेरा मान |
घूम कर देखलो पूरी दुनियां में
न मिलेगा दूजा ऐसा जहाँ,
भारत मेरी आत्मा तिरंगा मेरी जान
मेरा देश मेरा मान ||