मेरी प्यारी मां | ऑनलाइन बुलेटिन
©जलेश्वरी गेंदले, शिक्षिका.
परिचय– पथरिया, मुंगेली, छत्तीसगढ़
आज फिर तेरी याद आई
सोच के मेरी आंख भर आई
कहने को कुछ शब्द नहीं
फिर बात तेरी दिल की गहराई को छुआई
जी करता है पास आके गले लगा लूं
मां
जी करता है मन की बात बताऊं
तुम्हें ढूंढ रही है मेरी नजर
आवाज सुनने को कान तरसे
आजा एक बार आजा मां
बचपन की वो लोरी सुना जा मां
आज फिर तेरी याद आई
रूह के रिश्तो की ये गहराइयां
तो देखिए,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है मां
हम खुशियों में मां को भले ही भूल जाये,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है मां
आज फिर तेरी याद आई
क्या लिखूं अपनी मां के बारे में
मैं जब खुद ही उनकी लिखावट हूं
भले बुरे का पहचान कराती है मां
अच्छी शिक्षा ज्ञान बताती है मां
राह में आए कोई मुश्किल
आगे ही बढ़ते रहना
मां के लाल हो तुम
नहीं कोई बुजदिल
सीख सिखलाती है मां
आज फिर तेरी याद आई ….