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मेरी चाहत | ऑनलाइन बुलेटिन

©जलेश्वरी गेंदले

परिचय- शिक्षिका, पथरिया, मुंगेली, छत्तीसगढ़


 

 

सच लिखती हूं मैं

यही है मेरी चाहत

लेखन से मेरे कुछ

लोग होते हैं आहत

कलम की सच्चाई से झुठो

को होती है छटपटाहट

सच लिखती हूं मैं

यही है मेरी चाहत,

 

चंद पलों की हसरतें

कभी खुशियों की बारिश

कभी गमों के बादल

देखकर पीड़ितों की लाचारी

मन होता है घायल

देख लोगो की गद्दारी

आती आवाज कही से

ख़त्म ना हो जाये शराफ़त

सच लिखती हूं मैं

यही है मेरी चाहत

 

मुझमे भी है भावनाएं

जो मुझसे कहती हैं,

उठो और आवाज़ करो

ताकि कोई ना तुम्हें

नजर अंदाज करे?

पहचान लो अपने अस्तित्व को

कोई अब ना तुम्हारा

तिरस्कार करें

अन्याय का सामना करुं

मेरे आंगन मे हो हरदम

न्याय की हर पल आहट

सच लिखती हूं मैं

यही है मेरी चाहत

 

इंसाफ के लिए एक

आवाज बनो

ना कोई तुम्हें दरकिनार करें

चुनो राह अब ऐसा कि

सबको आजादी का

आसमान मिले

नारी हो तुम जननी हो

तुम्हे बराबर सम्मान मिले

बेफ़िक्री से उड़ जाये

ऐसा खुला आसमान मिले

मिट जाये दुनिया से नफरत

सच लिखती हूं मैं

यही है मेरी चाहत

लेखन से मेरे कुछ

लोग होते हैं आहत,,,,


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