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नवरात्र | ऑनलाइन बुलेटिन

©रामकेश एम यादव

परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र.


 

 

शस्त्र उठाकर माते! तूने,

जग को निर्भय बनाया है।

स्वागत में तेरे भक्त खड़े हैं,

मौसम भी हर्षाया है।

 

देखो वो लहलहाती फसलें,

चिड़ियों ने यश गाया है।

धूप खिली है, फूल खिले हैं,

नवरात्रि का रंग छाया है।

 

बढ़ा उजाला देखो कितना,

माते! तेरे आने से।

हे!शैलपुत्री,जगत उद्धारिणी,

धन्य हुआ तुझे पाने से।

 

ब्रह्मा, विष्णु और सदाशिव,

सबमें तेरी शक्ति है।

सूर्य -चंद्र भी तेरे सहारे,

दिल में कितनी भक्ति है।

 

सारे जग की माता हो तू,

सबका पालन करती हो।

गूँज रहा है नाम तुम्हारा,

झोली दुआ से भरती हो।

 

सिंह वाहिनी, विश्ववंदिनी,

भूख, गरीबी दूर करो।

देशप्रेम में हम सब डूबें,

ऐसा तू हुंकार भरो।

 

 

ऐ औरत कब तक छली जाएगी तू | ऑनलाइन बुलेटिन

 

 


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