कोई मेरे साथ नहीं | Newsforum
©अविनाश पाटले, मुंगेली, छत्तीसगढ़
कोई मेरे साथ नहीं
सुनते कोई आवाज नहीं
किसी से कुछ बात नहीं
मेरे जीवन है अकेला
यहाँ खड़े है कई झमेला
जब मैं करता यथार्थ के बात
नहीं देते मुझे कोई साथ
कारवाँ बदलना चाहता हूँ तो
समझते नहीं है मेरे जज्बात
समाज मुझसे है नाराज
हकीकत की नहीं सुनते आवाज
दुनिया मेरे लिए रूठ गयी है
नसीब मेरे फुट गयी है
जीवन की रोशनी बुझी पड़ी
मेरे ऐसे ही चल रही है घड़ी
न मेरे घर परिवार चलते
न चलते संग रिश्तेदार
ऊपर बैठी है सरकार
मेरे लिये वो भी है बेकार
सुनते नहीं वो पुकार
करूँ मैं कैसे किसको गोहर
बस बैठे रहता हूँ मैं घर द्वार
मैं बैठा हूँ बेरोजगार
पिता के ऊपर मेरा भार
हूँ, मैं एक गरीब मजदूर
भूख लगी तो खाना भी दूर
मैं बेचारा थका हारा
किस्मत का हूँ मारा
रुपिया, पैसे का है कीमत
वो मुझे नहीं है हिम्मत
उफ़ दिन-रात नहीं है चैन
सोते जागते खुले है नैन
उम्र ढल रही है जीवन मैला
क्या करूँ मैं हूँ अकेला
मेरे नहीं आये कभी सांध्य बेला
पकड़ते मेरे कोई हाँथ नहीं
कोई मेरे साथ नहीं
सुनते कोई आवाज नहीं …