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एक बार गाँव आके तो देख | Onlinebulletin.in

©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़ 


 

 

शहर के चका चौंध म गाँव ल भुलागे

गांव डहर सुरता लमा के तो देख,,

ममहा जाहि जिनगी हा सिरतोन

एक बार गाँव आके तो देख,,,,,

 

गाँव गंवई के हम हन वासी

हमनला सुहाथे चटनी बासी

संग म नून मिर्चा गोंदली के

स्वाद म मजा उड़ाके तो देख

एक बार गाँव आके तो देख,,,,,

 

 

होवत बिहान चिरई चिरगुन

सबला रोज बिहनहा जगाथे

कोयली घलो अपन राग म

गुरु सुनाथे

आमा लिम के छाँव म बइठके

अपन थकान ला मिटाके तो देख

एक बार गाँव आके तो देख,,,,

 

 

हरियर लुगरा ओढ़े धरती दाई

चारो मुड़ा धान लहलहावाथे

फूल घलो फूलगे हे फुलवारी म

चारो मुड़ा ममहावत हे

इहि सरग हे नई मिलै कहीं

इंहाके माटी ला चन्दन लगा के तो देख

एक बार गाँव आके तो देख,,,,,,,,

 

गाँव के किसनहा, माईपिल्ला मनहा

दिन भर बेरा ल खेत म पहाथे

अपन खून ले माटी भिंगोथे

पसीना ले पानी पलोथे

ऐईसे देश के भूख मिटाथे किसान

एक बार खेत म जांगर लगाके तो देख

एक बार गाँव आके तो देख,,


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