एक तरफा प्यार | Onlinebulletin.in
©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़
छुप छुपकर रोज देखता हूँ तुम्हें
दिल ही दिल में चाहता हूँ तुम्हें |
हर-पल ढूंढतीं है मेरी आँखें सनम
मन ही मन अपना मानता हूं तुम्हें ||
कैसे बताऊँ अपनी हाल ऐ बयां
तुम्हें बिन देखे पागल सा रहता हूं
जब तुम पर नज़र पड़ जाती है |
हर दर्द को हंसकर सहता रहता हूं ||
सामने जब तुम आती हो सनम
मन करता है दिल की बात बोल दूं |
कितना प्यार छुपा रखा है इस दिल में
एक पल में सारे राज खोल दूं ||
पर पास मेरे आती हो जब तुम
दिल की धड़कन मेरी बढ़ जाती है |
इजहार करना चाहता है ये दिल
मेरी सांस हर- पल थम जाती है ||
बहुत कुछ कहना चाहता हूं तुमसे
पर खोने से मैं तुम्हें डरता हूं |
तुम मिलो तो मैं पूरा हो जाऊँ
बस रब से तुम्हें मांगता रहता हूं ||