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इक तरफा मेरा प्रेम अमर | Newsforum

©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश


 

 

इक तरफा है मेरा प्रेम अमर,

इक ही मेरी परिभाषा है,

इक रंग रूप, इक छवि अनूप,

इक ही मेरी अभिलाषा है,

हो तो पवित्र यह अंभ सुधा,

वरना जीवन इक त्रासा है।।

 

मेरा प्रेम सकल संसार मेरा,

मुझसे है, बस मुझमें है,

जीता हूं मैं हर रोज इसे,

यह मेरे सांसो की प्रमेय है,

ना बंटता है ना घटता है,

मेरा प्रेम मेरी हर आशा है।

मेरा प्रेम अटल विश्वास सदृश,

वरना जीवन इक त्रासा है।।

मेरा प्रेम मोती का अवतंस है,

यह अविचलित है यह अनंत है,

मेरा प्रेम हृदय की अमर ज्योति सा,

यह कठीन रेत का अंध अंश है,

मेरा प्रेम मुझमें मेरा शक्ति स्रोत,

यह मेरी अमर्त्य पिपासा है

वरना जीवन इक त्रासा है ।।


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