आंगन हमारे, आने से तेरे | ऑनलाइन बुलेटिन
©गुरुदीन वर्मा, जी.आज़ाद
परिचय- गजनपुरा, बारां, राजस्थान
आंगन हमारे, आने से तेरे।
हो गया रोशन आंगन, मेरी लाड़ली।।
सितारें जीवन के, हो गये रोशन।
महक गया गुलशन, मेरी लाड़ली।।
आंगन हमारे———————-।।
कम नहीं सुंदर, तू फूलों से।
आई है चांदनी, तू बनकर।।
हंसा देती है, तेरी हंसी हमको।
आई है खुशी, तू बनकर।।
हमारे चेहरे पर, आ गई रौनक।
घर की रौनक तू, मेरी लाड़ली।।
आंगन हमारे———————–।।
तू सपना है, हम दोनों का।
पहचान हमारी तू, कल को बनेगी।।
होगा नाम रोशन, तुमसे हमारा।
तस्वीर हमारी तू, कल को बनेगी।।
तू ही हमारे, जीवन का सहारा।
तू ही हमारी दुनिया, मेरी लाड़ली।।
आंगन हमारे———————–।।
तुझमें बसी है, जान हमारी।
रब से दुहा हम, यह करते हैं।।
सदा खुशहाल, आबाद रहे तू।
तेरे लिए ही सच, हम जीते हैं।।
हमारी यह दौलत, तेरे नाम है।
हमारी है वारिस तू, मेरी लाड़ली।।
आंगन हमारे———————-।।