दर्द | Onlinebulletin.in
©पुष्पराज देवहरे भारतवासी, रायपुर, छत्तीसगढ़
दिल में इश्क़ का दर्द लेकर घूमता हूं
हर रोज रातें सर्द लेकर घूमता हूं |
दर्द ही दर्द की दवा होती है यारों
एक ऐसा हमसफ़र लेकर घूमता हूं ||
वो आये तो करूं उससे हाल ऐ बयां
हर – पल दिल बे-दर्द लेकर घूमता हूं ||
कभी आकर देखा मेरा हाल ऐ सनम
कभी ना मिटे वो ज़ख्म लेकर घूमता हूं ||
अश्क़ बहेंगी एक दिन मेरी चिता पर तेरी
अपनी बर्बादी का कफ़न लेकर घूमता हूं ||