पनघट को जाती पणिहारी | newsforum
©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश
छैल छबीली सुंदर काया,
अधरों पर मुस्कान की छाया,
हाथों में गागर छलकाते,
पनघट को जाती पणिहारी।
बाल बड़े काले घुंघराले,
एक लट गालों पर पहरा डाले,
पायल की छम छम धुन बाजे,
सुन हृदय का सब दुःख भागे,
पनघट को जाती पणिहारी।
सिर चुनरी कानों में बाली,
मधुर मधुर मुस्कानों वाली,
सखियों संग करती हंसी ठिठोली,
तन की चंचल मन की भोली,
पनघट को जाती पणिहारी।।
यौवन का श्रृंगार लिए,
गले वैजन्ती हार लिए,
नैन नक्श की तेज बड़ी,
हृदय उमड़ता प्यार लिए,
पनघट को जाती पणिहारी।