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पंथी गीत | ऑनलाइन बुलेटिन

©सरस्वती राजेश साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

*लाप *

दीन, हीन के सेवा करके, सबके भाग जगाये।

माता -पिता घलो पाके तोला, अड़बड़ बाबा सँहराये।

 

*गीत *

धन -धन हे अमरौतिन दाई, धन्य हे तोर कोरा।

बालक बनके आइस बाबा, अमरौतिन के कोरा।

 

महंगू बबा के लईका बनगे, दुनिया के रखवारे।

सत्य नाम के रकछा खातिर, बनगे सबके पतवारे।

अब काहे के चिंता भाई, सत नाम ल जोरा।

बालक बनके आइस बाबा, अमरौतिन के कोरा…।

 

सत्य,धरम के मारग चलके,जनहित ल अपनाइस।

पुण्य करम ले जैतखाम के, पावन पद ल पाइस।

गिरौदपुरी तोर धाम बाबा, गुरु घासी नाम तोरा।

बालक बनके आइस बाबा, अमरौतिन के कोरा…।

 

धन -धन हे अमरौतिन दाई, धन्य हे तोर कोरा।

बालक बनके आइस बाबा, अमरौतिन के कोरा।


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