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राजनीति | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीरज सिंह कर्दम

परिचय– बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश.


 

 

 

नेता का गांव में दौरा है

चुनाव जो आ रहे हैं,

नेता के चापलूस लग हुए हैं

तैयारी में,

 

मेन रोड से गांव तक

कली बिखेर दी गई है

गांव में ढोल पीटकर

सबको सूचित किया जा रहा है।

 

आदमियों को शराब का

लालच दिया जा रहा है,

औरतों को साड़ी और

कुछ रुपये का लालच

देकर ज्यादा से ज्यादा भीड़

जमा की जा रही है।

 

पूरे गांव को बैनर व पोस्टरों से

सजा दिया गया है,

पंडाल में कालीन बिछा दी गई है,

मंच को फूलों से सजाया गया है

नेता जिन्दाबाद के नारे लग रहे हैं।

 

नेता आये भाषण दिए

अपनी बात सुनाई

पर किसी की बात ना सुनी

बस नेता जो कहते रहे

लोग ताली बजाते रहे।

 

नेताजी जो कह रहे वो होगा,

जो कहा वो अबतक हुआ क्या ?

क्योंकि लोगों को इस बात से

कोई मतलब नहीं था,

 

लोगों को तो बस मतलब था

शराब, साड़ी और रूपयों से

फिर नेताजी से सवाल कैसा,

पांच साल का हिसाब कैसा ?

नेताजी चले गए,

अब लोग इंतजार कर रहे हैं

अपनी शराब, साड़ी और रूपयों का …


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