सियासत…

©भरत मल्होत्रा
परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र
न जाने किस मिजाज़ का सारा जहान हो गया
ईमानदार आदमी भी बेईमान हो गया
============================
तहजीब और ज़मीर जिनके कर गए हिजरत कहीं
जिस्म उन हजरात का खाली मकान हो गया
============================
ये देख कर हैरान हूँ कि वक्त क्या पलटा मेरा
कल जो चापलूस था वो बदज़ुबान हो गया
============================
मालामाल कर दिया मुझे दे के उम्र भर का गम
महबूब मेरा मुझ पे कितना मेहरबान हो गया
============================
नफरत की आग ऐसे लगाई सियासत ने कि
हंसता-खेलता शहर पल में वीरान हो गया
============================
ये खबर भी पढ़ें: