.

रमा बाई | newsforum

नारियों की प्रेरणा बन गयी, लिख गयी गौरव गाथा को ।

कोई कैसे भूल सकता है, महान रमा बाई माता को ।।

अनंत विपत्ति संकट झेले, पर ना हिम्मत हारी थी ।

पति के पतिव्रता सदा रही, कर्तव्यनिष्ठ नारी थी ।।

नेक कर्मठ निर्भिक साहसी, अटूट हौसले वाली थी ।

हर परिस्थिति में रही एक सी, तू गृहस्थी रखवाली थी ।।

बाबा सा विदेश गए तब, तू ही हिम्मत देती थी ।

पीछे की सारी जिम्मेदारी, अपने ऊपर लेती थी ।।

समाज हितार्थ त्यागी मां, सुख सारे न्योछावर कर गयी ।

और नारियों के दिलों में, स्वछ भावना को भर गयी ।।

एक-एक कर पुत्र चले गए, धन संकट भी खूब सहा था ।

फिर भी मन मजबूत रखा कर, औरों से कुछ नहीं कहा था ।।

तुझ संग बाबा साहब निर्भय थे, तू ही संबलदायक थी ।

तूं कंधे से कंधा मिला कर, सदा बनी सहायक थी ।।

 

©जबरा राम कंडारा, वरिष्ठ अध्यापक, जालोर, राजस्थान. 

परिचय : शिक्षा- एमए, बीएड, हिंदी व राजस्थानी भाषा में साहित्य, लेख व कविता का प्रकाशन.


Back to top button