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अवधी के 3 सवैया छंद पढे़ और आनंद लें | ऑनलाइन बुलेटिन

©रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल

परिचय– सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश


 

जोरी मनोहर राम औ जानकी श्यामल गौरु विभूति सजी है।।

गावत मंगलगान हु नारिनु ढोल मृदंगनु तान बजी है।।

चित्त मुदित महराज जनक कर बेटिनु चारिहु डोली सजी है।।

चंचल जाचक जे अवधेशु अऊर मिथिलेश कै भागि भजी है।।1।

 

 

डोली चली अवधेशनु द्वार अऊर मिथिलेश कै कान्ति नसी है।।

बेटिनु चार चलीं ससुराल न माईनु आब कै चिन्ता फँसी है।।

नीको न लागत अंदर बाहेर आजु हवैली लौं शान नसी है।।

चंचल जे मुँहबोली दुलारी वै आजु सबै ससुराल धँसी है।।2।।

 

 

तोरण द्वार सजे अवधेश औ सूचक आई संदेशु बताई।।

रघुवर आवतु सीयहु संग औ अवरिऊ तीनि बहु घर आई।

छाई खुशाली ई आलीअवधपुर

बेटनु संग बहून हैं आईं।।

मन भवा चंचल सासुन तीनहु मंगलगान औ बाजी बधाई।।3।।


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