पुलवामा के शहीदों को नमन l ऑनलाइन बुलेटिन
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़, मुंबई
चीख़ती रही ज़मीन, रोया आसमान।
लहू से लहूलुहान था अपना हिंदुस्तान।
14 फ़रवरी को जब वीर हुए शहीद,
ज़ख्म भर गया पर छोड़ गया निशान।
कईं टुकड़ों में वीरों का शरीर बंट गया,
वन्दे मातरम की गूँज हुई, फिर अमर हो गया
हिंदुस्तान की ज़मीन हुई रो-रो कर निढाल,
देखते ही देखते धरा का वीर सफ़र कर गया।
ममता की तड़प, पिता का प्यार,
पल में लूट गया था , ये संसार।
कलाई रह गयी सूनी वीरों की,
चीख़ उठा कोई,कोई करता पुकार।
माँ का कोख़ 40 बेटों से उजड़ गया,
चारों ओर जैसे सन्नाटा पसर गया।
रह-रह कर चीख़ आती रही हर घर से,
पत्थर दिल भी, मोम सा पिघल गया।
दर्द सिमट न पाए , इन काग़ज़ की तहरीरों में,
अमर हुए बलिदानी, पुलवामा के वीरों में,
स्याही भी लहू बन कर रह गयी देखो,
दिखते हैं अब सब शहीद एक तस्वीरों में।
दिखते हैं अब सब शहीद एक तस्वीरों में।
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पुलवामा के शहीदों को शत-शत नमन ?????