संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा | ऑनलाइन बुलेटिन
छत्तीसगढ़ के निर्गुण गुरु, बाबा संत शिरोमणि।
सतनाम पंथ के प्रवर्तक, जन चेतना के अग्रणी।।
गिरौदपुरी के महाराजा, दक्षिण कोसल के स्वामी।
सत्यता की परचम लहराए, सत्य साधक सतनामी।।
सांसारिक जीवन देखकर, अंतःकरण में हुई विरक्ति।
औंरा-धौंरा तरु तर तप किए, अगुण ब्रह्म की भक्ति।।
मानव में था अति जातिवाद, छुआछूत और भेदभाव।
मानव को मानव ना माने, जन-जन में था अलगाव।।
हिंसा और पाप का तांडव, मर्त्य-ही-मर्त्य की दुश्मन।
सदाशयता ही ज्ञान अमृत, असत्य की किया शमन।।
घासीदास की वाणी सुनों, मूर्तियों की पूजा है वर्जित।
पशुओं से भी प्रेम करो, तू मरा नहीं अभी है जीवित।।
जन जागृत किए उपदेश से, सत्य की राह है अविचल।
भवसागर से जीव होगा पार, जप,ध्यान कर निश्छल।।
नैतिकता को कर धारण, मानव-मानव है एक समान।
ऊंच-नीच की बात कह कर, प्रभु की कर रहा अपमान।।
सारा जग है परमपिता की, हंसा एक दिन उड़ जाएगा।
मिट्टी की काया और माया, मिट्टी में ही मिल जाएगा।।
मैं हूं सदा इस पावन धरा में, सत्य प्रतीक है जैत स्तंभ।
श्वेत ध्वजा लहराता रहेगा, दूर करेगा अज्ञान और दंभ।।