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सच्चिदानंद | ऑनलाइन बुलेटिन

©राजेश श्रीवास्तव राज

परिचय– गाजियाबाद, 18 वर्षों से हिंदी, उर्दू, अवधी और भोजपुरी में कविता गीत व अन्य साहित्यिक विधाओं में लेखन.


 

 

उपवन को रोज सुबह महकाने कौन यहां आ जाता है।

कल कल करते झरनों को नित कौन यहां सिखाता है।।

 

 

भंवरों को फूलों का रस पीना कौन यहां सिखलाता है।

फूलों पर तितली का मंडराना कौन यहां बतलाता है।।

 

 

आलय में शंख,घंटों का बजना कौन बताया करता है।

पट को खोल ईश स्नान करा कौन सजाया करता है।।

 

 

पावक को ताप दिखाना, जल को शीतलता दिखलाना।

वायु को गतिमान बनाकर, यहां संतुलन कौन बनाता है।।

 

 

जगत नियंता अंतर्यामी, कण कण वासी अविनाशी है।

वह चेतन जागृत सच्चिदानंद, सदा सर्वेश्वर विश्वासी है।।

 


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