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कह दो जमाने से | ऑनलाइन बुलेटिन

©प्रतिभा त्रिपाठी, शिक्षिका

परिचय– गुन्डरदेही, बालोद, छत्तीसगढ़


 

पग पग बढ़ रहे,

राह नव गढ़ रहे

शिखरों पे चढ़ रहे।

भारत बचाने को।

 

प्रेम वाला गीत रहे,

जग मनमीत रहे,

एकता की रीति रहे,

बाग महकाने को।

 

हाथ संग हाथ रहे,

अपनों का साथ रहे,

ऊँचा हर माथ रहे,

शौर्यता दिखाने को।

 

साधु ही का वेश नहीं,

पहले का देश नहीं,

हम भी जवाब देंगे,

कह दो जमाने से।।


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