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निस्वार्थ भाव | ऑनलाइन बुलेटिन

©जलेश्वरी गेंदले

परिचय– शिक्षिका, पथरिया, मुंगेली, छत्तीसगढ़ 


 

किसी की तकलीफ को सुन

आंख से आंसू बहने लगते हैं

किसी के दर्द को महसूस कर

 मन बेचैन होता है क्यों

बेचैन मन

बिना सोचे समझे ही रोता है

सच मेरे पास दिमाग नहीं है।

 

 किसी के लिए भी

 बिना लालच भाव से

उसकी खुशियों के लिए प्रार्थना करना

किसी से भी मीठेपन से बात करना

अपनों की तरह

 उस के गुस्सा और बेअदब  बातों को सम्मान से सुनना

सच में मेरे पास दिमाग नहीं है।

 

किसी से भी किसी का  निंदा नहीं करना

किसी को भी देख कर उसके जैसे बनने का दिखावा नहीं करना

कभी भी अपने आप को दिखाने की कोशिश नहीं करना

सच में मेरे पास दिमाग नहीं है।

 

लोगों के जैसा सुंदर न दिखना

सुंदर दिखने के लिए सजावट ना करना

बिना सजे-सँवरे ही कहीं भी चले जाना

लोगों का परिहास बनना

उसमें भी खुश होकर मुस्कुराना

सच में मेरे पास दिमाग नहीं है।

 

दिल से किसी को भी कभी बुरा ना कहना

बिना गलती कि गम सहना

कभी भी अपनी खुशी के लिए

किसी से भी कुछ चाह न रखना

सच में मेरे पास दिमाग नहीं है

 

बिना गलती किए ही

गलती की सजा पाना

बार-बार तिरस्कृत किया जाना

मुझे कमजोर बना दिया जाना

सच मे मेरे पास दिमाग नहीं है

मैं पत्थर दिल नहीं हूं

क्यों मुझे स्वार्थ के लिए जीना नहीं सिखाया

कभी साज सज्जा के लिए मोह नहीं

सच में मेरे पास दिमाग नहीं है।

फिर भी हर किसी की गुनहगार  मै ही हूं।


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