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शहीद-ए-आज़म; राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

शहीद-ए-आज़म, बहादुरी और क्रांति की मिसाल।

भारत माँ के महान सपूत, वीरता में थे सब कमाल,

हँसते-हँसते झूल गए, कर दिया था ख़ुद को क़ुर्बान,

ममता के आँचल में पले, थे वीर माँ के तीनों लाल।

 

आज़ादी के दीवानों ने, सिर पे बाँध लिया कफ़न,

जवानी लुटाई देश की ख़ातिर, कर लिया दफ़न।

आज भी तिरंगे में आती है बू, इनकी शहादत की,

झुके न टूटे कभी, सलामत रखा अपना ये वतन।

 

युवा दिलों में जोश भर, ब्रिटिश को दी फटकार,

असेंबली में फेंक बम,अंग्रेज़ों को दिया ललकार,

दहल गया हर अंग्रेज़, देख मतवालों की टोली,

इंक़लाब और वंदे मातरम से हिल गयी सरकार।

 

जवानी लुटाई देश की ख़ातिर हो गये क़ुर्बान,

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु हमारा सम्मान।

मन में उमड़ा देश प्रेम, झलकता है तहरीरों में,

ख़िदमत-ए-वतन-वतन की ख़ातिर किया था ऐलान।

 

शहादत का परचम लहराया, वीर अमर बलिदानी।

तिरंगे में लहू का रंग सुनाए शहादत की कहानी।

नमन करता ह्रदय, मन मस्तिष्क शीष झुकाए,

हिंद की दिल में दास्तान-ए-हक़ीक़त की रवानी।

 


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