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शक्ति स्वरूपा नारी | ऑनलाइन बुलेटिन

©गणेन्द्र लाल भारिया, शिक्षक

परिचय – कोरबा, छत्तीसगढ़


 

 

 

संसार की अद्भुत अद्वितीय रचना है नारी,

शक्ति स्वरूपा है सृष्टि पर पड़ते रहें भारी।

 

नव सृजन का तुम्हें सौभाग्य महतारी,

दुर्गा , काली, कभी झाँसी के ले अवतारी।

 

मां, पत्नी, सास हर रिश्तों को निभाई ,

स्वतंत्रता, स्वेच्छा से अपनी कर सगाई ।

 

त्याग ,परित्रायण की नाम हैं तु कल्याणी,

धन्य संरचना संसार की ऐ नारायणी ।

 

संस्कारों का है तुम पर अद्भुत समायोजन ,

जिससे जीव जगत है उत्साहित और रोशन ।

 

स्वयं पीड़ा क्रंदन सह कर देती खुशियाँ,

नानी याद दिला देती हैं नारी शक्तियाँ ।

 

आसमान से धरातल तक अपनी जौहर दिखाई,

तिमिर हो या शत्रु सबसे आँख से आँख मिलाई।

 

नारी बिन सृष्टि की कल्पना कोरी है।

सजल स्नेह प्रेम करूणा की डोरी है।

 

ज्ञान -विज्ञान, तकनीकी में लोहा मनवाया,

नारी ने साहस वीरता से अपनी मान बढ़ाया ।


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