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समाजिक न्याय | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

 

हम समाजिक प्राणी हैं।

कोई ज्ञानी कोई अज्ञानी हैं।

 

न्याय तलाशना हमारा हक़ है।

न्याय मिलता नहीं यही सत्य है।

 

पैसे और बाहुल्य लोगों में सब बिक गया।

सामाजिक न्याय नाम रहा, सब मिट गया।

 

लोभी, भ्रष्ट्राचार से भरा है ये संसार,

उम्मीद क्या करना, जब भरा हो अत्याचार।

 

इंसाफ़ परस्त बहरा है, गूंगे की अदालत में,

ज़ालिम है शहंशाह, झूठे की वकालत में।

 

कपड़े की तरह, हर रोज़ गवाह बदलते हैं,

आंख पे पट्टी बांध हम इंसाफ को तरसते हैं।

 


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