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कुछ तो लोग कहेंगे और कहते ही रहेंगे | ऑनलाइन बुलेटिन

©अमिता मिश्रा

परिचय– बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

टोकेंगे हर बात पे

रोकेंगे हर राह पे

ऐसा करो वैसा ना करो

तुम्हारी नहीं खुद की सोचेंगे…..

 

कुछ तो लोग कहेंगे और कहते ही रहेंगे

 

कम बोलो, ज्यादा ना हँसो

धीरे बोलो, जोर से नहीं

साड़ी पहनो जींस नहीं

थोड़ी गोरी होना था

तुम मोटी हो पतली हो जाओ

अपने सांचे में ढालेंगे……

 

कुछ तो लोग कहेंगे और कहते ही रहेंगे

 

बेटी पराये घर जाना है

बहू पराये घर से आयी है

पढ़ाई नहीं रसोई का काम सीखो

नौकरी नहीं घर संभालो

घर, समाज, संस्कार, के नाम पे रोकेंगे…

 

कुछ तो लोग कहेंगे और कहते ही रहेंगे

 

अदृश्य बेड़ियां पैरों में बांधेंगे

पंख काटकर उड़ने कहेंगे

हौसला, आत्मविश्वास सब तोड़ देंगे

तुम्हें कुछ नहीं आता बस यही कहेंगे….

 

कुछ तो लोग कहेंगे और कहते ही रहेंगे

 

तो सुनो मेरी प्यारी सखी!

ये सब अंनत काल तक कहते ही रहेंगे

तुम सुनना खुद के मन की बात

तुम बुनना सपने खुद के लिए

तुम सुंदर, ससक्त नारी हो

हर पल जीना आत्मविश्वास के साथ

सिर्फ और सिर्फ खुद के लिए

क्योंकि बेटी, माँ पत्नी से पहले

तुम एक नारी हो त्रिदेवियों की शक्ति

और हां सखी तुम्हें देवी बना पूजा करेंगे

पर रोज घर में अपमानित भी वही करेंगे…..

कुछ तो लोग कहेंगे और कहते ही रहेंगे…..

महिला दिवस पर सभी महिलाओं को समर्पित

संघर्ष को जो हर्ष के साथ स्वीकार करें वो है एक भारतीय नारी  ….

 

महिला सशक्तिकरण विशेष …

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