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कभी ख़ुशी तो कभी आंखों में पानी है | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय– बिहार शरीफ़, नालंदा में जन्म, मुंबई में निवास, शिक्षा– एमसीए, एमबीए, आईटी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

कभी ख़ुशी तो कभी आंखों में पानी है।

हर किसी की ज़िंदगी की यही कहानी है।

 

समझो तो मोतियों से भरा है ये समंदर,

न समझो तो सिर्फ़ मौजों की रवानी है।

 

ज़िन्दगी भी ग़रूर कर बैठी है ख़ुद पे,

कैसे समझाएं इसे, चार दिन की ज़िन्दगानी है।

 

मुहब्बत हो या हो दौलत, है नशे में सब यहां

देखो ज़रा ग़ौर से सब पे छायी मौसम मस्तानी है।

 

ज़िक्र जब भी आए कभी अपनी ज़मीर का,

पाकीज़ा बताते ख़ुद को, जज़्बात रूहानी है।


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