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कभी उनकी याद आती है हमें | ऑनलाइन बुलेटिन

©बिसेन कुमार यादव ‘बिसु

परिचय– दोन्देकला, रायपुर, छत्तीसगढ़


 

 

कभी उनकी याद आता है हमें,

कभी उन्हें हमारी याद आती होगी।

 

चौबिसों घड़ी न सही पर एक पल तो,

वो कभी हमें याद तो करती होगी।।

 

कभी हम उनके गलियारों में जाते हैं,

कभी वो भी हमारे गलियों में आती होगी।

 

हम जिस तरह करते हैं उन्हें मोहब्बत,

शायद वो भी हमें कभी करती होगी।

 

करवट ले लेकर हम सारी रात

बिस्तर पर जागें जागे सोए रहते हैं

 

जागें-सोए, उठते-बैठते हर एक पल

हम उनके ही ख़्यालों में खोए रहते हैं।

 

हम उनके सुध में रोज आठों पहर आहें भरते हैं,

शायद वो भी हमारे सुध में अश्रु बहाती होगी।

 

हम जिस तरह करते हैं बस उन्हीं की बातें,

किसी लम्हा वो हमारी बाते कभी करती होगी।।

 

हम दिलों जान से उन पर मरते हैं अब भी,

यकिन तो है , शायद वो भी हम पर मरती होगी।

 

वो मेरी दिलरुबा है और मैं उनका दिलाना हू,

हा मेरे जैसे ख्याल उनके ज़हन में आती होगी।।

दोस्त / दोस्ती dost / dostee
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