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सफलता | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीरज यादव

परिचय– चम्पारण, बिहार.


 

 

 

जो गिरते ही फूट जाए,

वो मिट्टी का घड़ा नहीं हूँ।

हां, गिरा मैं जरूर हूँ,

परंतु मैं हारा नहीं हूँ।

 

अपनी कठिनाइयों से स्वयं लड़ूं,

इतना जोश है मुझमें।

मैं क्या कर रहा हूँ, ये मत समझाना,

क्योंकि इतना होश है मुझमें।

 

सपने मेरे इतने बड़े हैं,

कि लोग घबड़ा जाते हैं।

कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं,

अपने मंजिल के लिए हड़बड़ा जाते हैं।

 

सफलता तो उन्हीं को मिलती हैं,

जो धैर्य और संयम बनाए रखते हैं।

और अपने आपको  हमेशा,

कुछ-ना-कुछ कामों में लगाए रखते हैं।


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