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एक पेड़ की दास्तां | Newsforum

©वंदिता शर्मा, शिक्षिका, मुंगेली, छत्तीसगढ़

परिचय- एमए, बीएड, सम्मान- कबाड़ से नवाचार में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु प्रशस्ति-पत्र, राज्य स्तरीय अक्षय शिक्षा प्रबोधक सम्मान, गरीब बच्चों के लिए शिक्षकीय कार्य करने हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित.


 

 

मैं पेड़ हूँ….

पर निर्बल नहीं हूँ

सिर्फ आप लोगों से हारी हूँ

अपनी शौक के लिए तुम

मुझको हर बार काटे हो

हर कदम पे खुद को वारी हूँ

मैं पेड़ हूँ….

 

बेशक मुझको तुम

ना समझ पाओगे

किन्तु मेरा दाम भी

तुम ना लगा पाओगे

आज भी मेरे बगैर

तुम ना जी पावोगे

हर कदम पे सिर्फ मुझसे

अच्छे फल की आस करोगे

मैं पेड़ हूँ….

 

मेरे जीवन का आंकलन

बड़े शौक से करो तुम

तुम अपने जीवन का सोच लो

खुद का दंभ भरो तुम

तुम जितना मुझको काटोगे

मेरे बगैर तुम ना जी पावोगे

मैं मूक हूँ तो

कहाँ तक तुम बच पाओगे

मैं पेड़ हूँ…..

 

मैं सर्व शक्तिशाली हूँ

मैं हर जीवों की

जीवनदायिनी हूं।

मैं भंयकर बाढ़ों से भी

सबको बचाकर रखती हूं

इसलिए पूजी जाती हूं

मैं पेड़ हूँ….

 

कुछ बदलाव मैंने

अब खुद में कर लिए

नए अस्तित्व की अपनी

परिभाषा मैंने गढ़ लिए

अब मैं उन्मुक्त हो

गगन छूने चली हूँ

अब धरा में ही समा गयी

हर बाधाओं और बंदिशों

अब खुद न लड़ सकी मैं

मैं पेड़ हूँ….

 

जबकि मैं हर जीवों की

जीवनदायिनी हूं

जल वाहिनी हूँ

हर जीवो का जीवन

मुझपर निर्भर है

मैंने जीवों अपने कोख से पैदा तो नहीं किया,

पर सबकी जन्मदायिनी हूँ

बोझ नहीं हूँ

किसी पर भी मैं

सबकी श्वास नली हूं

ह्रदय में ममता समेटे

सब पर एक सा प्यार

लुटाती हूं

मैं पेड़ हूँ….

 

वृक्ष लगाओ

जीवन बचाओ

आज पर्यावरण दिवस पर मेरे संरक्षण की सोचो

मैं मूक हूं पर देख रही

विनाशकारी जीवन को देख रही

मैं पेड़ हूं …


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