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शिक्षक नींव का पत्थर | Newsforum

©डॉ. कान्ति लाल यादव, सहायक आचार्य, उदयपुर, राजस्थान


 

दूसरों को उजाला देने के लिए, मोम बनकर पिघलता है शिक्षक।

 

खुद को जला कर दूसरों को ज्ञान देता है शिक्षक।

 

कंगुरे को चमकाने के लिए, नींव का पत्थर बन जाता है शिक्षक।

 

खुद विषपान कर दूसरों को अमृत देकर सींचता है शिक्षक।

 

त्याग, तपस्या की मूरत बन शिष्यों की सूरत चमकाता है शिक्षक।

 

अपनी खुशियों को दफन कर दूसरों की खुशी के फूलों को महकाता है शिक्षक।

 

अपने शिष्यों में ज्ञान- ज्योति भर उज्ज्वल जीवन को दौलत समझ लेता है शिक्षक।


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