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शिक्षक | ऑनलाइन बुलेटिन

©इंदु रवि

परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


 

शिक्षक बिना जग अंधियारा ।

करते हैं वह जग-जीवन उजियारा ।

शिक्षक ना हो तो कंकड़िली राहों पर चलना कौन सिखाए ।

हार कर भी जीवन में जितना कौन सिखाए ।

शिक्षक की आभारी दुनिया

करती  गुणगान सारी दुनिया ।

शिक्षक पर निर्भर भविष्य

बच्चों पर ना उतारो खीस

समतावादी बनकर तुम

दर्द में लगाना  विक्स ।

शिक्षक होते सदा

नौनिहालों के रक्षक ।

बनना नहीं तुम

उसके भविष्य के भक्षक ।

सद्गुणों से सुशोभित हो

मानवता के प्रतिबिंब बन

नहीं किसी भी अहम से तन

सदा तुम  सहिष्णु  रहना

शिक्षक तुम विकास

के आधार हो ।

देश के कर्णधार हो

धरा के   श्रृंगार  हो

नागरिक जिम्मेदार हो

भारत को पुनः

सोने की चिड़िया बना दो ।जन-जन में

मानवता का धर्म फैला दो ।

सत्य पथ पर चलकर सदा

करना अन्याय का दमन ।

शिक्षक तुझे नमन -2

 

 

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