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सूख गया बगीचा पूरा | Newsforum

©निरज यादव, चम्पारण, बिहार


 

 

 

 

कि सूख गया बगीचा पूरा, दिख नहीं रही हरियाली रे…

 

ये क्या किया तुमने ?… बताओ मेरे माली रे…

 

कि सूख गया बगीचा पूरा, दिख नहीं रही हरियाली रे…

 

ये क्या किया तुमने ?… बताओ मेरे माली रे…

 

 

 

मैंने तो तुमको पेड़ दिया, ताकि तुम इसका फल खाओ,

 

इसकी रक्षा करो और भी पेड़ लगाओ।

 

पर तुमने इन सबको कर दिया खाली रे…

 

ये क्या किया तुमने ?… बताओ मेरे माली रे…

 

 

 

रंग-बिरंगे फूल दिए ताकि तुम इसको सजाओ,

 

अपने घर के आस-पास लगाओ और सुन्दर बनाओ।

 

कि अब दिख नहीं रहा फूलों की ङाली रे…

 

ये क्या किया तुमने ?… बताओ मेरे माली रे…

 

 

 

तुमने पशु-पक्षियों का घर उजाड़ा,

 

और एक-एक को तुमने गिन-गिन कर मारा।

 

अब तो अपनी गलतियों को सुधारो हाली-हाली रे…

 

ये क्या किया तुमने ?… बताओ मेरे माली रे…

 

 

 

कि सूख गया बगीचा पूरा, दिख नहीं रही हरियाली रे…

 

ये क्या किया तुमने ?… बताओ मेरे माली रे…

 

कि सूख गया बगीचा पूरा, दिख नहीं रही हरियाली रे…

 

ये क्या किया तुमने ?… बताओ मेरे माली रे…


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