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स्त्री ने थाम रखा है… | ऑनलाइन बुलेटिन

©कुमार अविनाश केसर

परिचय– मुजफ्फरपुर, बिहार


 

 

 

स्त्री,

विशाल है-

मन से….

संसार से….

अस्तित्व से….।

 पुरुष?

प्रयासरत है…

पकड़ने को…

समेटने को…

 अपने अस्तित्व में।

 

जिस दिन

 स्त्री

सिमट जाएगी।

विलय हो जाएगा-

 पुरुष।

 तिल-तिल…

विगलित हो जाएगा-

पुरुष।

स्त्री ने थाम रखा है…

अस्तित्व!

कृष्ण की तरह…

 सारा का सारा…

 मगर अपने कंधों पर!!

 


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