स्वर्णिम चिंगारी है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©उषा श्रीवास, वत्स
परिचय- बिलासपुर, छत्तीसगढ़.
पत्थर वन अविचल होकर कोटिशः ठोकर सह जाती हैं, बुलंदी पर रखती शील अपनी मूरत बनकर पूजी जाती हूँ।
शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंदी पर दुर्गा – काली की अभिव्यक्ति हैं, सृष्टि का सृजन करती निशर्दिन सहनशीलता की अनुपम शक्ति हूँ।
मैं ईश्वर की सबसे सुंदर कृति मुझे गर्व है कि मैं नारी हूँ, जीवन का प्रतिक्षण संघर्ष भरा कभी किसी से ना हारी हूँ।
मैं आज स्वर्णिम अतीत सदृश रखती अंदर खुद्दारी हूँ. मिट-मिट हर बार संवरती पुरुष प्रधान जगत में स्वर्णिम चिंगारी हूँ।
हर अभियान जीतती शान से हर बाधा मुझसे हारी हैं, मत समझो निर्बल, वेबस, लाचार मुझे हे नर! अब मैं तुम पर भारी हूँ।
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