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श्रमदान भी होगा | Newsforum

©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

बहुजन आंदोलन में

महिलाएं आगे

क्यों नहीं आतीं ?

या हम अपने घरों

की महिलाओं को

खुद नहीं लाते ?

क्योंकि आज भी

समाज में पुरुष

सत्ता हावी है

इस सोच से

उबरें तो हमारी

महिलाएं भी

नायक भावी हैं

यह क्यों सोचते हैं

कि नारी कच्चे धागे हैं

मौका तो दीजिए वे

आंदोलन में आगे हैं

क्या महिलाओं का

नेतृत्व पुरुषों को

नहीं भाता है ?

इसलिए कहीं महिलाएं

बहुजन आंदोलन में

आगे नहीं आती हैं ?

या हम अपने घरों की

महिलाओं को

खुद ही नहीं लाते हैं

समाज सुधार में शामिल

साथी ही अपने घरों की

महिलाओं को ले आते ?

तब भी महिला नेतृत्व

नजर आ जाएगा

उन नेत्रियों को देखकर

महिलाओं की संख्या

और भी बढ जाएगी

अगर हम ऐसा कर सकते

तो वह दिन भी दूर नहीं

जब बहुजन आंदोलन में

महिलाओं का योगदान होगा

यही हम बहुजनों का

बहुजनों के विकास में

श्रमदान भी होगा

तब यह प्रश्न ही

खत्म हो जाएगा कि

बहुजन आंदोलन में

महिलाएं आगे क्यों

नहीं आतीं ???

हम पुरुष ही अपने

घरों की महिलाओं

को आंदोलन में

नहीं ले जाते ?????

मिशन के सभी साथियों

इस बात को गांठ बांध लो

अब अकेले बैठकों में

नहीं जाना है ???

अपनी-अपनी श्रीमती

को भी साथ लाना है

क्या हम ऐसा

कर सकते हैं ??

जिस दिन हमने

ऐसा कर दिखाया

समझो हमने बहुजन

आंदोलन को आगे बढ़ाया

कमजोरी हमारे

खुद की है ?

दांव तो हमारे

वजुद की है ?

इस नीति पर अगर

हम चल पाए

निश्चित ही है कि

समाज बदल जाए

शुरुआत हमें खुद

से करना है ?

जो कमी आंदोलन में है

उसे हमें भरना है।


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