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ये दिसंबर …

©संजय वासनिक, चेंबुर, मुबंई   


 

ये दिसंबर बड़ा ही शैतान है..

जैसे-जैसे उम्र में बढ़ता है..

पूरे सालभर की यादों का,

काफीला जमा करता है..

और एक-एक याद अपनी

पोटली से निकालकर हमें..

कभी रुलाता है,

कभी हंसाता है,

कभी अजीजों से

मिलाता है,

कभी वालीदों से

जुदा कर देता है..

कभी नये-नये

रिश्ते बनाता है..

कभी बने बनाये

बिगाड़ देता है..

कभी दामन खुशियों से

भर देता है तो,

कभी दिल की

खुशियां छीन लेता है,

यह दिसंबर बड़ा नादान है..

ये दिसंबर बड़ा ही शैतान है..

 

कस्में दिलाता है,

वादे करवाता है..

गलतियों को

स्वीकार करवाता है..

तो नये किस्से

कहानियां गढ़वाता है..

नये संकल्प बनाने के

वादे करवाता है.

गुजरे हुये साल से,

कुछ न कुछ दिलाता है

आनेवाले साल से,

कुछ ना कुछ मांगता है

यह दिसंबर बड़ा नादान है..

ये दिसंबर बड़ा ही शैतान है..

 

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