ये बुद्ध की धरती है | Newsforum
©नीरज सिंह कर्दम, बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश
बुद्ध,
जिन्होंने अपना राज परिवार
पत्नी व बेटा, सुख
त्याग कर दिया और
जंगल चले गए
सत्य की खोज में,
बुद्ध को
राज सिंहासन
तक नहीं रोक सका,
बुद्ध को इसकी कोई लालसा
नहीं थी,
बुद्ध,
बस निकल पड़ें
ज्ञान की प्राप्ति के लिए,
जिन बातों से विचलित थे
उनका उत्तर खोजने निकल गए,
ज्ञान प्राप्ति और
नए मार्ग का दर्शन,
पीपल वृक्ष के नीचे
ध्यान साधना में लीन
हो गए,
कड़ी कठिनाई को
पार कर
पीपल वृक्ष के नीचे
ज्ञान की प्राप्ति हुई,
बुद्ध,
बोद्धिसत्व गौतम
ज्ञान प्राप्ति के बाद
बुद्ध बन गए,
बुद्ध का धम्म,
स्वयं का सृजन था,
बुद्ध ने परम्परागत रूढ़
धारणाओं का खण्डन किया,
बुद्ध का मार्ग,
आत्मा की मुक्ति व
मोक्ष की बजाय
निर्वाण का सिद्धांत,
धम्म, धार्मिक ग्रंथों में नहीं
धाम्मिक सिद्धांतों की
पालना में,
मन ही सभी चीजों का
केन्द्र बिन्दु है,
बुद्ध के आगे
अहंकारी राजाओं का अहंकार
खत्म हो गया,
बड़े बड़े राजाओं ने
अपने राज मुकुट बुद्ध के चरणों में
रख दिए, और उनकी शरण में
आ गए,
अंगुली मार जैसे
राक्षस इंसान को
बुद्ध ने मानवता का मार्ग दिखा
हैवान से मानव बनाया,
बुद्ध ने धर्म और जाति
को कभी नहीं माना,
बुद्ध ने एक नए
धम्म की स्थापना की
जिसमें जाति धर्म नहीं
कर्म श्रेष्ठ है,
बुद्ध की मानवता,
सबका मंगल हो की भावना
उनकी करूणा एक महाकारुणिक
शत्रु से भी मैत्री करो,
तथागत बुद्ध
वैशाख पूर्णिमा की मध्यरात्रि को
महापरिनिर्वाण को प्राप्त हुए,
बुद्ध के मार्ग को
अपनाया दुनिया ने
जो आज छू रहे हैं
बुलन्दियां,
हमें गर्व है कि
हम उस धरती पर जन्मे
जिस पर महामानव का जन्म हुआ
जिसने भारत को विश्व में
एक नई पहचान दी
ये बुद्ध की धरती है,
बुद्ध का मार्ग
दुःखों व अन्धविश्वासों से
मुक्ति का मार्ग है,
बुद्ध का धम्म
मानवता का धम्म,
बुद्धम शरणम् गच्छामि …