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स्वतंत्रता के बीज बोने वाले | ऑनलाइन बुलेटिन

©सरस्वती राजेश साहू

परिचय– बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

 

भारतवर्ष सुरक्षित और संस्कारित रहे जिसकी गाथा समूचे विश्व में हमेशा -हमेशा विद्यमान हो। यह कामना हर हिन्दुस्तानी के तन-मन में बसा हुआ है। एक समय था जब भारत फिरंगियों के मनसूबे को समझ नहीं पाये और उन्हें आश्रय देते -देते स्वयं आश्रय विहीन हो गए और भारत अंग्रेजी शासन का गुलाम हो गया। अंग्रेजों ने भारत को लगभग 200 वर्षों तक लूटा और यहाँ के जन मानस को अपना गुलाम बना कर रखा उन पर अनेकानेक जुल्म ढाये।

 

विदेशी कंपनियों की स्थापना लगातार बढ़ती जा रही थी और यहाँ की स्वदेशी व्यापार पर प्रतिबंध तथा अनेक प्रकार के टैक्स लगाये जाने लगे जिससे जनता पर आर्थिक संकट विशेष रूप से प्रदर्शित हो रही थी।धीरे -धीरे भारत का पूरा शासन अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम हो गया।अब यहाँ की जनता अपने ही घर और देश में चैन से साँस भी नहीं ले पा रहे थे।

 

इसी बीच में स्वतंत्रता पाने के लिए लालायित जनता में से कुछ ऐसे महानविभूतियों का जन्म हुआ जिन्होंने भारत देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। वे स्वतंत्रता संग्राम के योद्घा स्वतंत्रता सेनानी कहलाये। भारत में स्वतंत्रता का बीज बोने वाले महान राष्ट्रभक्त मंगल पाण्डे थे जिन्हें भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का अग्रदूत माना गया।

 

इसके अलावा प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी हुए उनमें लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, लोक मान्य तिलक, विपिन चंद्र पाल, भगत सिंह आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरू, चंद्रशेखर आजाद जैसे अनेक स्वतंत्रता प्रेमी हुए।

 

वहीं महिला वीरांगनाओं में दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई, सावित्री फूले, सरोजिनी नायडू, बेगम हजरत महल, विजयलक्ष्मी, किटटूर रानी चेन्नम्मा, भीकाजी कामा, सुचेता कृपलानि आदि ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महती भूमिका अदा की और भारत के गौरवमय स्थान को प्राप्त किया। इनके दिशा निर्देश में भारत की जनता ने भी सहयोग दिया। भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए असंख्य लोगों ने अपना बलिदान दिया।

 

वह क्रांति का युग, जन अभिलाषियों में देश प्रेम व जागरण को भर देने वाला समय अविस्मरणीय है जिसे इतिहास आने वाली पीढियों को उस समय के दशा, दृश्य और दिशा को दिखाकर उनमें स्वतंत्रता के महत्व को प्रतिबद्ध कर अंतर हृदय को इस मिट्टी के प्रति समर्पण कर दायित्वों का वहन करना सिखलाती है।

 

धन्य है वह वीर और वीरांगनाएँ जो इस मिट्टी के कर्ज को चुकाने का अवसर नहीं खोया।जिनकी प्रेरणा आज भी लोगों में जोश व ऊर्जा का संचार करती है और करते रहेगी। भारत माँ के चरणों में शीश रख माथे पर कफन बांध भारत को अत्याचार व दासता से मुक्ति दिलाने में सहयोग प्रदान किया।

 

इन स्वतंत्रता सेनानियों का नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया गया। उनकी शहादतों का किस्सा युग -युग तक गाया जायेगा।

 

भारत माँ के लिए जिन्होंने अपना घर, परिवार त्याग कर आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। वे स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी सम्पूर्ण भारत वर्ष को एकता का संदेश देते हुए अपने मातृभूमि की आन, बान और शान की रक्षार्थ हेतु संकल्पित और समर्पित रहे ऐसे पुण्यात्माओं के आत्मसमर्पण को नमन है उनके कर्म व कर्तव्य हमेशा जोश के साथ निर्भय हो निःस्वार्थ  भाव से आगे बढ़ना सिखलाता है।

 

अपने वतन की स्वतंत्रता, एकता और अखण्डता का स्वप्न इन्ही स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयास और बलिदान से साकार हो सका। ऐसे कर्मवीरों को हृदय तल से शत्-शत् वंदन।


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