दौर नया बदला सा…

©गायकवाड विलास
नया युग नई दिशा,
हर द्वार नई आशा,
मौन बने रिश्ते सभी
बदले संसार में ।
दौड़ रहे सभी लोग,
स्वार्थ भरें रंग ढंग ,
खून भी हुआ पराया,
धन के लालच में ।
नाम के सभी इन्सान,
भूलें रिश्तों का बंधन,
बेच चलें है ज़मीर ,
आज के जमाने में ।
दौर नया बदला सा,
हर कोई यहां प्यासा,
सभी बनें है भिखारी
उन्नति के जहां में।
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