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तिरंगा | ऑनलाइन बुलेटिन

©रामकेश एम यादव, मुंबई


 

मेरी आन तिरंगा है, मेरी शान तिरंगा है,
कोई दुश्मन देखे इसे, दहलाता तिरंगा है।
तेरा भी तिरंगा है, मेरा भी तिरंगा है।
तू नजर उठाके देख नभ में भी तिरंगा है।
चांद पे तिरंगा है, मंगल पे तिरंगा है।
दुश्मन को फतह करता, ऐसा ये तिरंगा है।
गोरों को भगाया यही, ये वही तिरंगा है।
महफूज रखे ये वतन, ऐसा ये तिरंगा है,
गांधी का तिरंगा है, बिस्मिल का तिरंगा है,
जिसने भी लुटाया लहू उसका भी तिरंगा है,
मेरी नजर जहां जाती हर जगह तिरंगा है,
कोई मुझे बताये जगह, जहां नहीं तिरंगा है।

 

2)…..

 

ऐ ! मातृभूमि जननी …

 

ऐ ! मातृभूमि जननी, तेरे लिए जिऊंगा,
जब तक चलेंगी सांसें, सरहद पे मैं लड़ुंगा।
ऐ! मातृभूमि जननी……….

 

राणा का हूं मैं भाला और हौसला भगत का,
तेरी गोद ने है पाला, बस तुझपे ही मरूंगा।
ऐ ! मातृभूमि जननी……….

 

मैं लौट के ना आऊं, तो तू अश्क ना बहाना,
महफूज था चमन ये, महफूज ही रहेगा।
ऐ ! मातृभूमि जननी……….

 

शहीदों के खून से ये, उपवन सजा हुआ है,
तिरंगा ही मेरा सब कुछ, झुकने इसे न दूंगा।
ऐ ! मातृभूमि जननी……….

 

नदियों बहा था खून यहां, तब जाके मिली आजादी,
जो सो रहे चमन में, मैं उनसे ये कहूंगा।
ऐ ! मातृभूमि जननी, तेरे लिए जिऊंगा,
जब तक चलेंगी सांसें, सरहद पे मैं लडूँगा ।
ऐ ! मातृभूमि जननी……….

 

3)…..

 

तिरंगा हमारा …

 

लहर- लहर लहराया रे ! ये तिरंगा हमारा।
एकता की गंगा बहाया रे ! ये तिरंगा हमारा।

 

 देखो! आजादी का बीज ये बोया,
 दाग पुरानी गुलामी का धोया।
माटी ने जब -जब पुकारा रे ! ये तिरंगा हमारा।
एकता की गंगा बहाया रे ! ये तिरंगा हमारा।
लहर – लहर लहराया रे ! ये तिरंगा हमारा।

 

 जवान -किसान का सबका दुलारा,
 धरती पर उतरा हो जैसे सितारा।
आजादी का फूल खिलाया रे ! ये तिरंगा हमारा।
एकता की गंगा बहाया रे !, ये तिरंगा हमारा।
लहर – लहर लहराया रे ! ये तिरंगा हमारा।

 

 प्राणों से बढ़कर हमको है प्यारा,
 दुश्मन की खातिर ये अंगारा।
गुलशन की रौनक बढ़ाया रे ! ये तिरंगा हमारा।
एकता की गंगा बहाया रे ! ये तिरंगा हमारा।
लहर – लहर लहराया रे ! ये तिरंगा हमारा।

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