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तिरंगा तोर शान …

©सरस्वती साहू, (शिक्षिका), बिलासपुर, छत्तीसगढ़


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तिरंगा तोर शान, कतका मन ल हर्षाथे

तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे

 

भारत देश के माटी म, कतका इतिहास रचे हे

वीरांगना अऊ वीर माटी म, जान देहे बर खड़े हे

शहीद होगे जेन मातृभूमि बर, तिरंगा म लपटाथे

तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे….

 

सरहद म तैनात सिपाही, घाम प्यास नई देखय

तिरंगा के दीवाना, कांधा म बोहे रेंगय

खुशी के नई हे ठिकाना, जब तिरंगा फहराथे

तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे….

 

महतारी ऐ देश के माटी, माथ ल सबो नवाबो

जोश भरे हे तन मन म, सौ बार माथ कटाबो

हृदय म अरमान तिरंगा, देश के शान बढ़ाथे

तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे….

 

अपन लहू बहाके जेन हर, दूसर के प्रान बचावय

असली म भारत माता के, ओहर लाल कहावय

बड़भागी हे ओ बेटा, जे भारत के सपूत कहाथे

तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे ….

 

तीन रंग हमर तिरंगा, झण्डा के सम्मान रहय

ऊँचा ओकर शान रे भाई, अऊ सबला अभिमान रहय

चुकचुक ले फहरावय सब दिन, ये मन ह गोहराथे

तिरंगा हे आन हमर अंतस म समाथे….

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