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तिरंगा तोर शान | ऑनलाइन बुलेटिन

©सरस्वती राजेश साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

तिरंगा तोर शान, कतका मन ल हर्षाथे
तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे

 

भारत देश के माटी म, कतका इतिहास रचे हे
वीरांगना अऊ वीर माटी म, जान देहे बर खड़े हे
शहीद होगे जेन मातृभूमि बर, तिरंगा म लपटाथे
तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे….

 

सरहद म तैनात सिपाही, घाम प्यास नई देखय
तिरंगा के दीवाना, कांधा म बोहे रेंगय
खुशी के नई हे ठिकाना, जब तिरंगा फहराथे
तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे….

 

महतारी ऐ देश के माटी, माथ ल सबो नवाबो
जोश भरे हे तन मन म, सौ बार माथ कटाबो
हृदय म अरमान तिरंगा, देश के शान बढ़ाथे
तिरंगा हे आन हमर,अंतस म समाथे….

 

अपन लहू बहाके जेन हर, दूसर के प्रान बचावय
असली म भारत माता के, ओहर लाल कहावय
बड़भागी हे ओ बेटा, जे भारत के सपूत कहाथे
तिरंगा हे आन हमर, अंतस म समाथे ….

 

तीन रंग हमर तिरंगा, झण्डा के सम्मान रहय
ऊँचा ओकर शान रे भाई, अऊ सबला अभिमान रहय
चुकचुक ले फहरावय सब दिन, ये मन ह गोहराथे
तिरंगा हे आन हमर अंतस म समाथे….

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