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अप्रतिम सूर्योदय | newsforum

©गणेन्द्र लाल भारिया, शिक्षक, कोरबा, छत्तीसगढ़ 

परिचय: प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय, अंबिकापुर


 

मुक्तक

 

छायी हुई थी नभ में अद्भुत कालिमा,

भीत की सघन गोद में अदृश्य लालिमा।

 

स्वेत वर्ण की सी कल्पित माया,

क्षितिज के हर एक कोने में छाया।

 

अपनी प्लावित रंग में रंगा गगन,

पल- पल की परिवर्तन में है मगन।

 

शिलवट सी लग रही थी काया,

यह दृश्य है हर जन को भाया।

 

हवा में है मधिम-मधिम आवाज,

शीतल बयार की चला हो आगाज।

 

सौंदर्य गहरे अंर्तमन में उतर समाया,

देख आँख अपलक धरा- सा रह गया।

 

 

सूर्योदय की अप्रतिम दृश्य है निराली,

वासुदेव कुटुम्बकम की है ऐ खुशहाली।


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